मेरी खींच दुशासन साड़ी रे, मेरी राखो लाज गिरधारी रे.....
भीष्म पितामा बैठे सभा में,
बैठे सभा में बैठे सभा में,
हाय जैसे बैठे अनाड़ी रे, मेरी राखो लाज गिरधारी रे......
पांचो पति है मेरे सभा में,
बैठे सभा में बैठे सभा में,
हाय नीचे गर्दन डारी रे, मेरी राखो लाज गिरधारी रे....
उस दिन की शुद्ध भूले मुरारी,
जिस दिन उंगली कटी तुम्हारी,
मैंने फाड़के बांधी साड़ी रे, मेरी राखो लाज गिरधारी रे.....
आंवला की सुनो चीर मुरारी,
छोड़ चले हैं गरुड़ की सवारी,
वाकी साड़ी आए बड़ाई रे, मेरी राखो लाज गिरधारी रे.....
जैसे लाज रखी द्रोपति की,
रखी द्रोपति की रखी द्रुपद की,
वैसी लाज बचईओ हमारी रे, मेरी राखो लाज गिरधारी रे....