मोहन मुरारी बने है मनिहारी

मोहन मुरारी बने है मनिहारी,
नर से नारी बने नंदलाला, कोई है चूड़ी लेने वाला.....

सांवरे ने सिर पर सजाए लई डलिया,
बगल दवाई लई अपनी मुरलिया,
ऐसा सुंदर रूप श्याम का नैनो में कजरा डाला,
कोई है चूड़ी लेने वाला,
मोहन मुरारी बने है मनिहारी....

गली गली में आवाज वो लगावे,
मुरली की धुन पे गोपियां नचावे,
ऐसा वह दिखता है नंदलाला जैसे हो कोई बृजबाला,
कोई है चूड़ी लेने वाला,
मोहन मुरारी बने है मनिहारी....

कहो तो कौन रंग चूड़ी पहनाऊं,
हरी नीली पीली और धानी पहनाऊ,
लाल नहीं पहनू मैं हरी नहीं पहनू मुझे श्याम रंग है भाया,
कोई है चूड़ी लेने वाला,
मोहन मुरारी बने है मनिहारी....

राधा जी ने देख लिया जब अखियन में,
भेद सारा खुल गया सब सखियान में,
राधा रानी बोली मुस्काके मुझ पर ऐसा है जादू डाला,
कोई है चूड़ी लेने वाला,
मोहन मुरारी बने है मनिहारी....
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