दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खज़ाना है

दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खज़ाना है,
मिलता जो सुकून यहाँ कहीं और ना जाना है॥

आई जो पहली बार दर पर तेरे ओ श्याम,
जग में चर्चा तेरी सुनकर तेरा मैं नाम,
देखा जब से तुझे श्याम दिल मेरा दीवाना है,
मिलता जो सुकून यहाँ कहीं और ना जाना है,
दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खज़ाना है॥

मस्ती जो बरस रही मस्ती में मैं खोई,
मन नाच उठा मेरा जाएगी  थी जो सोई,
भक्ति का दीप ये  श्याम घर घर में जगाना है,
मिलता जो सुकून यहाँ कहीं और ना जाना है,
दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खज़ाना है॥

जब दीप जले आना जग ज्योति तुम्हारी श्याम,
गुणगान करूँ तेरा रसपान करूँ मैं श्याम,
रसभाक्ति का तुझे श्याम हाथों से पिलाना है,
मिलता जो सुकून यहाँ कहीं और ना जाना है,
दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खज़ाना है॥

एक बार नहीं कई बार पीने से ना प्यास बुझे,
ये और बढ़ी जाए जब जब मैं देखु तुझे,
टीकम दे दर्शन निशदिन दर आना है,
मिलता जो सुकून यहाँ कहीं और ना जाना है,
दरबार तेरा ओ श्याम खुशियों का खज़ाना है॥
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