अपनी प्यारी गंगा माँ

विष्णु के चरणो में ब्रह्मा की शरणो में,
शिव की जटाओं में माँ अपनी प्यारी गंगा माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ पर्वत की छोटी में,
चंदा की ज्योति में सागर के मोती में माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ अपनी प्यारी गंगा माँ,
विष्णु के चरणो में ब्रह्मा की शरणो में,
शिव की जटाओं में माँ अपनी प्यारी गंगा माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ....

बड़ा ही जप टप कठिन तपस्या संतो से पायी,
संतो से पायी भक्तों संतो से पायी,
जाता जो खोले भोले शंकर स्वर्ग से माँ आई,
हाँ स्वर्ग से माँ आई गंगा माँ आई,
गंगा की धरा में बहकर पर्वत हो राय,
सभी को मुक्ति का धव देती है गंगा माई,
हाँ भक्तों है गंगा माई,
भक्तों के कष्ट हरे माँ गंगा,
बांझन की गोड भरे जय हो,
भक्तों के कष्ट हरे बांझन की गोड भरे,
भय को भगति पर अपनी प्यारी गंगा माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ....

इस गंगा के जल में अमृत सभी को दे मुक्ति,
सभी को दे मुक्ति माँ सभी को दे मुक्ति,
युगों युगों से बहा चुकी है कितनो की अस्थि,
कितनो की अस्थि माँ कितनो की अस्थि,
सुख समृद्धि देने वाली गंगा की भक्ति,
एक बूँद ही मोक्ष दिलाती,
इसके जल में वो शक्ति,
हाँ इसके जल में वो शक्ति,
पार लगाने वाली जय हो,
वचन निभाने वाली जय माँ गंगे,
पार लगाने वचन निभाने वाली,
प्रेम लुटाने वाली माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ....

ब्रहम्मा जी की प्यारी बेटी गंगा बड़ी भोली,
मैया बड़ी गंगा मैया बड़ी भोली,
हर एक दिशा में पूजित हो गयी,
जीत जीत ये डोली जीत ये डोली गंगा जीत जीत ये डोली,
इसके द्वारे पर आती है भक्तों की टोली,
दोनों हाथ लुटती खुशियां भर्ती है झोली,
मगर सवारी वाली जय हो,
बिगड़ी बनाने वाली हर हर गंगे,
मगर सवारी वाली,
बिगड़ी बनाने वाली,
मुक्ति दिलाने वाली,
अपनी प्यारी गंगा माँ...

विष्णु के चरणो में,
ब्रह्मा की शरणो में,
शिव की जटाओं में माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ,
अपनी प्यारी गंगा माँ......
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