मेरे मन में वस गयो

मेरे, मन में वस गयो, श्याम लला, श्याम लला,
'भाए, कैसे कोई अब, और भला' ll

चाहे, जमाना अब, कुछ भी कहे रे* ll
मैं, श्याम का श्याम, मेरे भए रे* ll
मेरी, अख्खियों में वस गयो, श्याम लला, श्याम लला,
'भाए, कैसे कोई अब, और भला' l
मेरे, मन में वस गयो,,,,,,,,,,,,,,,,,F

जब से, लड़े श्याम, सुंदर से नैना* ll
तब से, कहीं बैरी, जीयरा लगे ना* ll
कालो, जादू सो कर गयो, श्याम लला, श्याम लला,
भाए, कैसे कोई अब, और भला,,,
मेरे, मन में वस गयो,,,,,,,,,,,,,,,,,F

साँवरी, सुरतिया ने, पागल कियो री* ll
मुरली, निगोड़ी ने, घायल कियो री* ll
अपने, रंग मेी ही रंग गयो, श्याम लला, श्याम लला,
भाए, कैसे कोई अब, और भला,,,
मेरे, मन में वस गयो,,,,,,,,,,,,,,,,,F

सौंप, दिया अब, जीवन तोहे* ll
राखो, जेहि विधि, रखना मोहे* ll
तेरे, दर पे पड़ा हूँ अब, श्याम लला, श्याम लला,
भाए, कैसे कोई अब, और भला,,,
मेरे, मन में वस गयो,,,,,,,,,,,,,,,,,F

मन में, बस गयो, नंद किशोर* ll
अब, जाना नहीं, कहीं दूसरी ओर* ll
बसा-लो, वृन्दावन में अब, श्याम लला, श्याम लला,
भाए, कैसे कोई अब, और भला,,,
मेरे, मन में वस गयो,,,,,,,,,,,,,,,,,F

अर्ज मेरी, मंजूर ये करना* ll
वृन्दावन से कभी, दूर ना करना* ll
करे बिनंती, भगत अब, श्याम लला, श्याम लला,
भाए, कैसे कोई अब, और भला,,,
मेरे, मन में वस गयो,,,,,,,,,,,,,,,,,F

अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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