हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम

हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम,
नाराज़ी क्या है ऐसी जो भूल गए मुझे श्याम,
हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम।।

चौखट को तेरी मैंने संसार माना,
प्रीत लगाई तुमसे बाबुल है माना,
पलकें मेरी भीगी तुमको पुकारें श्याम,
नाराज़ी क्या है ऐसी जो भूल गए मुझे श्याम,
हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम।।

दुनिया वाले बाबा हांसी उड़ावे,
खरी खोटी बोले मेरो कालजो दुखावे,
लाज बचाने आजा तू लीले चढ़ कर श्याम,
नाराज़ी क्या है ऐसी जो भूल गए मुझे श्याम,
हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम।।

हिवड़े री बातां बाबा था सूं ना छिपी है,
साथी हमारा तुम बिन कोई भी नहीं है,
क्या चीर कलेजा तुमको दिखाना होगा श्याम,
नाराज़ी क्या है ऐसी जो भूल गए मुझे श्याम,
हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम।।

गलती की मांगू माफ़ी क्षमा श्याम करना,
‘मोहित’ है चरणों में दया थोड़ी करना,
तेरे हवाले नैया अब मर्ज़ी तेरी श्याम,
नाराज़ी क्या है ऐसी जो भूल गए मुझे श्याम,
हारे के सहारे मुझे तुम बिन ना आराम।
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