मोरछड़ी थारे हाथां में

मोरछड़ी थारे हाथां में, हीरो चमके माथा में,
थारे गल फूलां को हार बाबा श्याम धणी॥

नाम सुण्यो है जद से थारो नींदडली नहीं आंख्या में,
बड़ी दूर से चलकर आया द्यो दर्शन थारा भक्तां ने,
आंसू भरया मेरी आंख्या में, नैया है भव सागर में,
म्हारी नैया पार लगाय बाबा श्याम धणी॥

एक सहारो तेरो बाबा म्हाणे क्यूँ तरसावे है,
कब से तेरी टेर लगावां क्यों ना दर्श दिखावे है,
गले लगा तेरा टाबर ने, राह दिखा दे भूल्या ने,
अब सुनले लखदातार बाबा श्याम धणी॥

मैं तो सुणी हाँ बाबा थारी महिमा अपरम्पार घणी,
क्यों तरसावे बाबा जी थारे टाबरिया ने आस घणी,
गुण गांवा दिन राता ने, भूल गया सब कामा ने,
अब नैया पार लगाओ बाबा श्याम धणी॥

“आलूसिंह जी”श्याम बिहारी सब भक्तों की टेर सुणो,
सब भक्तां के संग में बाबा म्हारे सिर पर हाथ धरो,
भजन सुणावा मैं थाने, दर्शन दे द्यो थे म्हाने,
थे भक्ति रा दातार बाबा श्याम धणी॥

मोरछड़ी थारे हाथां में, हीरो चमके माथा में,
थारे गल फूलां को हार बाबा श्याम धणी॥
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