जिन्दगानियाँ

दे दो सहारा,
श्याम मैं जग से हारा,
कटती नहीं है जिन्दगानियाँ,
जैसे तैसे करके गिरते उठते,
यहाँ तक है पहुंचाई,
पर अब मुश्किल है बढ़ पाना,
थाम ले हाथ कलाई,
दे दों सहारा,
श्याम मैं जग से हारा।।

रहम थी मांगी मैंने,
हर एक द्वार से,
नहीं आया आगे कोई,
इस संसार से,
ये रीत है कैसी,
श्याम ये प्रीत है कैसी,
कैसी है सारी रिश्तेदारियां,
दे दों सहारा,
श्याम मैं जग से हारा,
कटती नहीं है जिन्दगानियाँ।।

बताई किसी ने मुझे,
तेरी राह मोहन,
मिलेगा किनारा चल जा,
श्याम की तू शरणम,
दे मिटा अँधेरा,
श्याम कर देगा सवेरा,
मेट दे सारी परेशानियां,
दे दों सहारा,
श्याम मैं जग से हारा,
कटती नहीं है जिन्दगानियाँ।।

‘राजू’ बना है जो भी,
श्याम दीवाना,
देता है उसको निश्चित,
श्याम ठिकाना,
देता है किनारा,
श्याम के दर जो हारा,
करता है उस पर मेहरबानियाँ,
दे दों सहारा,
श्याम मैं जग से हारा,
कटती नहीं है जिन्दगानियाँ।।

दे दो सहारा,
श्याम मैं जग से हारा,
कटती नहीं है जिन्दगानियाँ,
जैसे तैसे करके गिरते उठते,
यहाँ तक है पहुंचाई,
पर अब मुश्किल है बढ़ पाना,
थाम ले हाथ कलाई,
दे दों सहारा,
श्याम मैं जग से हारा........
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