तेरे प्रेम का मुझपे हुआ ये असर

तर्ज – तेरे इश्क़ का मुझपे

तेरे प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है,
जिधर देखता हूँ,
तू आता नज़र है,
तेरें प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है।।

मुझे सांवरे तू,
जबसे मिला है,
जीवन का हरपल,
चमन सा खिला है,
तेरी रहमतों का,
हुआ सिलसिला है,
अब तो कोई भी,
शिकवा ना गिला है,
मेरे हर कदम पे तो,
तेरी नज़र है,
तेरें प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है।।

हुआ मैं दीवाना,
तेरी आशिकी में,
अंधेरो में हूँ,
या रहूं रौशनी में,
है खुशियों का मौसम,
तेरी बंदगी में,
है दिलकश नज़ारे,
मेरी ज़िन्दगी में,
हँसते हुए ही मेरी,
होती बसर है,
तेरें प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है।।

हुआ बावरा मन,
इतना तू प्यारा,
के दिल मेरा फिसला,
तुझे जब निहारा,
तेरा ही भरोसा,
तेरा ही सहारा,
‘चोखानी’ छोड़े ना,
अब तेरा ये द्वारा,
मेरा तो ठिकाना बाबा,
एक तेरा दर है,
तेरें प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है।।

तेरे प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है,
जिधर देखता हूँ,
तू आता नज़र है,
तेरें प्रेम का मुझपे,
हुआ ये असर है।।
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