पंचमुखी मेरे वीर हनुमान

पंच मुखी मेरे वीर हनुमान,
सारे जग में नही तुमसा कोई बलवान,
पंच मुखी मेरे वीर हनुमान॥

बंदी बना कर राम लखन को ले गया जब अहिरावण,
पंच मुखी का रूप आपने तभी किया था धारण,
प्रभु राम के तुमने बनाए है काम,
पंच मुखी मेरे वीर हनुमान॥

पंच मुखी वाला ये रूप है भक्तो पर उपकारी,
काम कोध मद लोभ अहम की करता नष्ट बीमारी,
भक्तो का करते हो सदा कल्याण,
पंच मुखी मेरे वीर हनुमान॥

ज्ञानवान और दयावान कोई तुमसा नही बजरंगी,
कष्ट मिटाते दुखी जनों के दुखियों के है सगी,
सब की मुशिकल करे है आसन पंच मुखी,
पंच मुखी मेरे वीर हनुमान॥

सिया राम की आपके मन में प्यारी छवि समाई,
आपने अपने भक्तो पर हरपल कृपा बरसाई,
करो मुझ पर भी थोड़ा अहसान पंच मुखी,
पंच मुखी मेरे वीर हनुमान,
सारे जग में नही तुमसा कोई बलवान,
पंच मुखी मेरे वीर हनुमान.........
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