पत्थर शिला पे बैठ्या दादा धोड़े वाला

( भक्तों पर कृपा करें, श्री दादा देव महान,
पूरी होती कामना, शरण पड़े की आन। )

एक शीला के ऊपर बैठा धोले घोड़े वाला,
हो दादा देव का है इसने पालम में धाम निराला,
अरा रा भई पालम में धाम निराला॥

सुन्दर छवि अनोखी उसकी, नैना बीच समागी,
प्यारी बनी हवेली उनकी, भक्तो के मन भागी,
सिर पे पगड़ी लागे, गल फूलों की माला,

जो भी सच्चे मन ते आके, यहां अरदास लगाते,
मनोकामना पूरी हो सब, मनचाहा फल पाते,
जात धर्म ना दादा देखे, गोरा होय कोई काला,
दादा देव का है इसने पालम में धाम निराला,
अरा रा भई पालम में धाम निराला॥

साथ में धूना और चिमटा संग, गोरखनाथ बिराजे,
उधो दास की बनी समाधि, जंग में डंका बाजे,
हवन कुंड में लगे आहुति, प्रसन्न होती ज्वाला,
दादा देव का है इसने पालम में धाम निराला,
अरा रा भई पालम में धाम निराला॥

12 गांव झुके इस दर पे, चद्दर सभी चढ़ावे,
गुड़ की भेली ‘हरीश’ लावे साथ में दौड़े दौड़े आवे,
भूलन त्यागी छंद बनावे, सबका देख्या भाला,
दादा देव का है इसने पालम में धाम निराला,
अरा रा भई पालम में धाम निराला,
एक शीला के ऊपर बैठा धोले घोड़े वाला,
हो दादा देव का है इसने पालम में धाम निराला,
अरा रा भई पालम में धाम निराला.......
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