शिव की जटा से बरसे

शिव की जटा से बरसे, गंगा की धार है, गंगा की धार है,
महीना ये सावन का है, छाई बहार है।
शिव की जटा से बरसे.......

कावड़िए भर भर के, चढ़ाने कावड़ निकले हैं,
हर जुबां से बम बम के, जय जयकारे निकले हैं,
शिवमय हुआ है देखो, सारा संसार है, सारा संसार है।
महीना ये सावन का है, छाई बहार है.....

भोले की भक्ति में, झूम रहे नर और नारी है,
अभिषेक करने को, भीड़ पड़ी भी भारी है,
सजा है शिवालय देखो, आज सोमवार है, आज सोमवार है।
महीना ये सावन का है, छाई बहार है......

मेरा भोला बाबा है, इनके भक्त सभी प्यारे,
इक लोटा जल से ही, कर दे ये वारे न्यारे,
राघव मिला है जो भी, बाबा का प्यार है, बाबा का प्यार है।
महीना ये सावन का है, छाई बहार है।
शिव की जटा से बरसे, गंगा की धार है, गंगा की धार है,
महीना ये सावन का है, छाई बहार है......
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