पट खोल सांवरा

टाबरिया सु सांवरा, लियो क्यों मोह हटाय,
थारो ही म्हाने आसरो, म्हाने तू ही आन बचाय।
श्याम श्याम जय श्याम श्याम.....


आंख्या का पट खोल सांवरा, क्यों तरसावे है,
भगत दुखारी रे, भगत दुखारी रे,
भगत दुखारी रे, थारी बाट निहारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा,
क्यों तरसावे है।


गम का या बादल म्हारे, सिर मँडरावे है,
विपदा अनोखी म्हाने, पल पल डरावे है,
धीरज यो छुट्यो रे, धीरज यो छुट्यो रे,
धीरज यो छुट्यो रे, थारा भगत पुकारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा,
क्यों तरसावे है।


सुनी पड़ी है बाबा, थारी फुलवारी रे,
टाबर खेले ना गूंजे, हंसी किलकारी रे,
छायो अंधेरो रे, छायो अंधेरो रे,
छायो अंधेरो रे, दिन रात गुजारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा,
क्यों तरसावे है।


‘कौशिक’ की गलती श्याम, मन में ल्यायो जी,
बनके दयालु देवा, दया दिखलाओ जी,
विपदा ने टालो जी, संकट ने टालो जी,
लीले चढ़ आओ जी,हारे के सहारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा,
क्यों तरसावे है.......
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