बापू जी का बड़ा ही सुन्दर भजन

हे मुरलीधर छलिया मोहन हम भी तुमको दिल दे बेठे,
गम पहले से ही कम तो न थए एक और मुसीबत ले बेठे,

दिल कहता है तुम सुन्दर हो,
आंखे कहती है दिखलाओ,
तुम मिलते नही हो आ कर के ,
हम कैसे कहे ये तो यह बेठे,
हे मुरलीधर छलिया मोहन ......

महिमा सुनके हैरान है हम,
तुम मिल जाये तो चैन मिल जाये,
मन खोज के भी तुम हे पता नही,
तुम हो के उसी मन में बेठे,
हे मुरलीधर छलिया मोहन .......

राधे स्वर रजा राम तुम्ही प्रभु योगेशेवर राम तुम्ही,
धुन्धारी बने कभी मुरली बजा यमुना तट निर्जन में बेठे,
हे मुरलीधर छलिया मोहन .......
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