मेरे सिर पे मटकी दूध की

मेरे सिर पे मटकी दूध की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की।।

मेरे शिव के शीश पे, चंदा है,
और जटा पे धारी गंगा,
मैं जोगण शिव के नाम की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की।।

मेरे सिर पे मटकी दूध की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की।।

रै मन्ने जोगण रूप बणाया है,
लगी शिव दर्शन की आस,
मैं जोगण शिव के नाम की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की

हाँ, मेरे मन में रटन शुबह शाम की,
भोले शंकर का लगाऊँ ध्यान,
मैं जोगण शिव के नाम की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की

हाँ, भोले से नाता जोड़ के,
मैं तो भव सागर तर जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की

इस जग के बंधन तोड़ के,
भोले के द्वारे जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की,
भोले को नहावन जाऊँ,
मैं जोगण शिव के नाम की
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