राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा

राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा
राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा।।

राम सिया राम जय जय राम सिया राम
राम सिया राम जय जय राम सिया राम।।

लाख कामले धन कोई चाहे लाख रहे परिवार
अंत उसी का हो भला जिसका है नाम आधार
कितना निर्मल कितना पावन मेरे प्रभु का नाम
पानी में पत्थर भी तेरे जिसपर लिखा हो राम राम राम ।।

राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा
राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा।।

राम सिया राम जय जय राम सिया राम
राम सिया राम जय जय राम सिया राम।।

मोरो राम रमण में चित भीजो मैं तित देखूं उत राम रे,
मोहे राम दुलारो, राम ही प्यारो, राम बिना ना काम रे।

राम दरस करते-करते मैं, भुल गयी दिन रात रे,
जब चलू ओढ़,राम  चुनरियाँ , देखे जग हैरान रे।
मोरो चित्त राम रस में…….

राम चंद्र रघुनाथ राम चंद्र जगन्नाथ
राम चंद्र रघुनाथ राम चंद्र जगन्नाथ।।

भक्ति की सौगात ,
हमको, हे नाथ दो,
इस भेजे में जो बसा,
उस रावण को मार दो
ये मस्तक रखा चरणों में,
तुम ही उद्धार करो,
नाथ मेरे उपकार करो,
जीवन नइया पार करो,

राम नाम ही गाऊं मैं,
चरणो में खो जाऊं मैं,
आदर्श तुम मेरे हो
दिन रात तुम्हें ही ध्याऊं मैं,
ये जीवन हे राम मेरा,
कर दिया तुम्हारे नाम है,
दास करे विनती
Is भवसागर से तर जाऊँ मैं

ना जाने का रूप दिखावे, मिले कौन स्थान रे,
सो हर कहु, को मैं नमन करूँ, और करूँ प्रीत सम्मान रे।
राम नाम ते पत्थर तिर गए, भये नौका समान रे,
है राम नाम, इत्तो अमोल, बोलोगे कैसे दाम रे।
मोरो चित्त राम रस में….

नारद-सारद, शेष-महेश, न कर पाये बखान रे,
मैं मंदबुद्धि, फिर कैसे करूँ, उस नारायण को गान रे।

राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा
राम चंद्र रघुवीरा राम चंद्र रनधीरा।।
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