दादा दा चिमटा

श्री दादा देव दर्शन करके,
सब दुखड़े मिट जाते है,
झोली उनकी भर जाती ,
जो इनके आते है,
रे दादा ने चिमटा गाड़ दिया,
सब शीश झुकावे धूणे पे

इस धुने की महिमा न्यारी,
बड़े बड़े सब कहते है,
चौइस घण्टे जोत जगे यहाँ,
सभी देवता रहते है,
दादा से नाता जोड़ लिया,
सब शीश झुकावे धूणे पे

गोरखनाथ गुरुजी की भी,
कृपा यहाँ बरसती है,
सब की आशा पूरी होती,
चढे सभी में मस्ती है,
ढँका जग में बजा दिया,
सब शीश झुकावे धूणे पे

बारह गाँव चढ़ावे भेली,
चादर भी चढ़ाते है,
फूलो से सिंगार करे,
दादा को खूब सजाते है,
जो आया सब का काम किया,
सब शीश झुकावे धूणे पे

इस धुने की लगा भभूति,
हरीश मगन सुख पा रहया,
भूलन त्यागी शीश झुका,
मस्ती में भजन सुना रहया,
दादा तेरे बिना ना लागे जिया,
सब शीश झुकावे धूणे पे
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