धन्य तेरी करतार कला

साहेब तमारी साहेबी,सब घट रही समाय,
जो मेहंदी  के पाथ में, लाली लखी ना जाए।
लाली मेरे लाल की, जीत देखी ऊत लाल,
लाली देखन में गयी , तो में भी हो गयी लाल।

धन्य तेरी करतार कला का,
पार नहीं कोई पाता है
धन्य तेरी करतार कला का,
पार नहीं कोई पाता है

निराकार भी होकर स्वामी,
सबका तू पालन करता है,
निराकार निर्बधन स्वामी,
जनम मरण नहीं धरता है
धन्य तेरी करतार कला का,
पार नहीं कोई पाता है

तेरी सत्ता का खेल निराला,
बिरला ही मेहरम पाता है,
जिन पर कृपा भई निज तेरी,
तू वाको दरश दिखाता है
धन्य तेरी करतार कला का,
पार नहीं कोई पाता है

ऋषि  मुनि और सन्त महात्मा,
निश दिन ध्यान लगाता है,
चार खान चौरासी के माहि,
तू हीं नजर एक आता है।
धन्य तेरी करतार कला का,
पार नहीं कोई पाता है

पत्ते पत्ते पर रोशनी तेरी,
बिजली सी चमक दिखाता है ,
चकित भया मन बुद्धि तेरी,
जीवादास गुण गाता है।
धन्य तेरी करतार कला का,
पार नहीं कोई पाता है
श्रेणी
download bhajan lyrics (426 downloads)