मुझे मिल गया है फिकर करने वाला

जब से मैं खाटू नगर आ गया हु ऐसा लगता है जैसे घर आ गया हु
मुझे मिल गया है फिकर करने वाला हर तरहा से होके बेफिक्र आ गया हु
ऐसा लगता है जैसे घर आ गया हु ....

जग के इशारों पे अब तक नची है ज्यादा गुजर गई थोड़ी बची है
बची हुई लेकर उम्र आ गया हु
ऐसा लगता है जैसे घर आ गया हु ....

मुझको यकीन है वो रोने न देगा,
मुझे दर भरद अब होने न देगा काट के चोरासी का सफ़र आ गया हु
ऐसा लगता है जैसे घर आ गया हु ....

मजबूर होके सुंदर लाल ने पुकारा
किरपा भरी दृष्टि से उसने निहारा
भीड़ में दयालु को नजर आ गया हु
ऐसा लगता है जैसे घर आ गया हु ....
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