थारो म्हारो साँवरा कोई बहुत पुराणों सीर

थारो म्हारो साँवरा कोई बहुत पुराणों सीर,
जद जद खाटू आवा लागे आग्या म्हे तो पीर,
म्हारो इतनो लाड करे जठे जठे म्हे पाँव धरा,
वो अपना हाथ धरे के म्हारो इतनो लाड करे

घर में बाबा थारी ही चर्चा सगळा ही देखे,
निस दिन परचा सासरियो भी म्हारो,
थारी जय जयकार करे,
खाटू आवन ताई सगळा पल में हामी भरे
म्हारो इतनो लाड करे जठे जठे म्हे पाँव धरा,
वो अपना हाथ धरे के म्हारो इतनो लाड करे

निसदिन की चिंता में फंसकर,
उल्झया रहवा जाणे कैसो है चक्कर,
सासरिये में काम घनेरा अठे करा आराम,
सुबह शाम म्हे बैठ के बाबा करा थारा गुणगान,
म्हारो इतनो लाड करे जठे जठे म्हे पाँव धरा,
वो अपना हाथ धरे के म्हारो इतनो लाड करे

मंगला आरती पे दिन उगे,
शयन आरती पर ही दिन डूबे,
बेरो कोणी चाले बीते बेगा बेगा दिन,
फेर दुबारा आवन ताई थक जावा गिण गिण,
म्हारो इतनो लाड करे जठे जठे म्हे पाँव धरा,
वो अपना हाथ धरे के म्हारो इतनो लाड करे

चरणा में थारे धोक लगाकर बोला बाबा म्हाने बिदाकर,
घड़ी बिदाई की जद आवै झर झर बरसे नीर,
कहे विकास साँवरो बोले आती रहीजे पीर,
म्हारो इतनो लाड करे जठे जठे म्हे पाँव धरा,
वो अपना हाथ धरे के म्हारो इतनो लाड करे
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