मैं पतित पुरातन तेरी शरण

मैं पतित पुरातन तेरी शरण
मैं पतित पुरातन तेरी शरण,
निज जान मुझे स्वीकार करो,
हूँ कब कब का साथी तेरा,
युग युग का हल्का भार करो

मैं भिक्षुक हूँ दातार हो तुम,
यह नैय्या खेवनहार हो तुम
इस पार हो तुम, उस पार हो तुम,
चाहो तो बेड़ा पार करो
मैं पतित पुरातन तेरी शरण . . .

मैं कुछ भी भेंट नहीं लाया,
बस खाली हाथ चला आया
अब तक तो तुमने भरमाया,
पर गुपचुप न हर बार करो
मैं पतित पुरातन तेरी शरण . . .

मैं चल न सकूँ तेरी ऊँची डगर,
हाय, झुक न सके मेरा गर्वित सिर
’निर्दोष’ कहूँ मैं, सौ सौ बर,
प्रभु अपनी कृपा इस बार करो ।।
मैं पतित पुरातन तेरी शरण .
श्रेणी
download bhajan lyrics (386 downloads)