थार धाम सोहणो लागे

थार धाम सोहणो लागे दरसण सु दुखडा भागे,
ऐ मारा शयाम धणी थारा दर्शन कर सुख पाँवा,

मोरछडी थारे हाताँ मे सोहै माथै मुकुट है पयारो,
केसर को थारे तिलक लगयो दरबार सजो है पयारो,
थारी सुरत लागे पयारी थारे घुल रही कैशर कयारी,
ऐ मारा सावरा थारा दर्शन कर सुख  पावा

दुनिया मे थारी घणी माहानता दुनिया दर्शन आवे,
कोई आवे पैदल पैदल कोई अबाँणा आवै वै,
मन चाहा फल पावे जो साँचा मनसु धयावै,
ए मारा शयाम  धणी थारा दर्शन कर सुख पावा  

सँकट सबका दुर भगाओ बाबो लख दातारी,
तीन लोक मे राज है थारो  थारी महिमा भारी ,
सुण खाटुनगर कै राजा थारे बाजे नौबत बाजा ए मारा सावरा  

फाघण की गयारस को थारे पेदल पेदल आँवा
चँग बजाँवा गुण थारा गाँवाँ रँग गुलाल ऊडाँवा
भक्ता कि नाव ऊबारो माँने भवसु पार उतारो
ए मारा सावरा थारा दर्शन कर सुख पाँवा
थारो धाम सोहणो लागै..........

भजन लेखक कृष्ण गोपाल  उपाध्याय कसोरिया
mO  9414982066
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