हम मोड़ने चले हैं

हम मोड़ने चले हैं युग की प्रचंड धारा,
गिरते हैं उठते-उठते, हे नाथ दो सहारा।

दुवृत्तियाँ बढ़ी हैं, उनको उखाड़ना है,
कर कंस चढ़ रहा है, उसको पछाड़ना है,
स्वारथ की बस्तियों को अब तो उजाड़ना है,
फिर व्यूह कौरवों का हमको बिगाड़ना है,
मिट जाए फिर असुरता, यह लक्ष्य है हमारा।
गिरते हैं उठते-उठते, हे नाथ दो सहारा।

हम कर्म खुद करेंगे पर आन माँगते हैं,
हो सिर सदैव ऊँचा, वह शान माँगते हैं,
भगवान तुमसे हम कब वरदान माँगते हैं,
बस एक सत्-असत् की पहचान माँगते हैं,
पर है तभी यह संभव, आशीष हो तुम्हारा।
गिरते हैं उठते-उठते, हे नाथ दो सहारा।

श्रेणी
download bhajan lyrics (401 downloads)