थारे चरणा से दुर

तर्ज..साँचो थारो दरबार

थारे चरणा स दूर ,नही रहड़ो मंजूर, मने पास रखियो
रहू खुस या उदास,रहू थारे आस पास ,मेरी बात रखियो,

टाबर हु म थारो ,थे कुछ तो बिचारो ,सुणो थे अर्जी
बिसारो या निभाओ,रुलाओ या हसाओ ,ह थारी मर्जी
ह थारी मर्जी,य म्हारी अर्जी,थारे चरणा स दूर ,

यो जग को झमेलो, झूठो ह सारो खेलो,य माया य जहाँ
किराया की य काया, झूठी य सारी माया ले जाऊंगा कहाँ,
ले जाऊंगा कहाँ ,छोड़ जाऊंगा यहाँ
थारे ....

काणजे बिठा के पूज्यों हु थाने बाबा,थे जाणों ह य बात
जो दुख आयो म्हापे ,न मुख मोड़ो म्हासे,छुड़ाओ न थे हाथ
छुड़ाओ न थे हाथ ,थे रहवो जी साथ साथ
थारे....

न दूजो कोई साथी, बनाडो बी नयी ह,सुणो जी घनश्याम
निभाणी पड़सी यारी,थारी या जिम्मेवारी,पुकारु थारो नाम
पुकारु थारो नाम,"अंश" सूबह और शाम
थारे...
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