पवन पुत्र हनुमान

माँ अंजनी के लालकलयुग कर दियो निहाल
ओ पवन पुत्र हनुमान तुम श्री राम के सेवक हो,
शिव शंकर के अवतार मेरे बालाजी सरकार,
ओ पवन पुत्र हनुमान तुम श्री राम के सेवक हो,

तू माँ अंजनी का जाया शिव अवतारी कहलाया
पा कर के अद्भुत शक्ति संसार में मान बडाया,
तेरी सूरत कुछ कबी सी कुछ मानव सी सुहाए ,
मन में है राम समाये और तन सिंदूर रमाये
और शाती बज्र समान तुम श्री राम के सेवक हो

जब हरन हुआ सीता का कुछ पता नही लग पाया
तूने जा के लंका नगरी मैया का पता लगाया
तूने रक्श सब पछाड़े इक इक को दिया गिराए
संकट काटे पल भर में जाके रावन के घर में
और लंका दिए जलाए तुम श्री राम के सेवक हो

सब रोग दोष मिट जावे जो हनुमान को ध्यावे
चाहे जैसा भी हो संकट श्री हनुमत दूर भगावे
झूठा है ये जग सारा ये मोह माया जंजाल
तू बाला जी को ध्या ले और अपनी प्रीत लगा ले
संकट मोचन कहलाए तुम श्री राम के सेवक हो
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