श्याम तेरी किरपा से चले घरबार से

श्याम तेरी किरपा से चले घरबार से आज जो भी बने तेरा उपकार सी
औकात न थी गाडियों में घुमन की
फ्लाइट में घुमा वे तेरा एहसान से,

हो पता नही जी कौन सा नशा करता है,
श्याम अपना पल में बना लेता है,
जो गावे श्याम नाम वोही जानता है कारोबार सब का बनाता है
खाटू नगरी यो दुनिया न जावे से सब की बिगड़ी यो पल में बनावे से
सेठो का सेठ मेरा संवारा दुनिया में डंका यो बाजे से
तेरी कृपा से चाले घर बार से आज जो भी बने तेरा उपकार से.....

हो कौन से कर्मो का मने फल मिल गया
खाटू वाले श्याम का जो दर मिल गया
अब दुनिया भी सोचन लागी से कौन से बाबा का इसे दर मिल गया
ना कोई चिंता फिकर मने किसे बात की
योही रखता है लाज मेरी हर बात की खाटू वाला यो लाख्दातरी से
दुनिया की किस्मत सवारी से
तेरी कृपा से चाले घर बार से आज जो भी बने तेरा उपकार से.....

मारी गह्लेया श्याम रहिये बन के तू डाल,
थारी ही किरपा से माहरी चले रोटी दाल
एवे ईशा को नही माहरे देवे कोठी बंगला
हर दम मौज उडावे थारे चरना का लाल
स्नेह विनती में करो मोरी गोर बाबा जी
साहनी तुम सा नही कोई और बाबा जी
थारी साक्षी नेआसरो थारो से चरणों में म्हारो गुजारो से
तेरी कृपा से चाले घर बार से आज जो भी बने तेरा उपकार से.....
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