हनुमान तुम्हारा क्या केहना

सीता का पता लगाया सागर पे पुल बनवाया
हनुमान तुम्हारा क्या केहना बलवान तुम्हारा क्या केहना,

जम्मूमाली को मार दिया फल खा के भाग उजाड़ दियां
जब मेगनाथ ले गया पकड़ रावन की निकली सभी अकड.
लंका को राख बनाया दुष्टों का नाम मिटाया
हनुमान तुम्हारा क्या केहना बलवान तुम्हारा क्या केहना,

जब लखन के बाण लगा उर में गए बुट्टी लेने पल भर में,
पहचान हुई न भुट्टी की तो अस्थुथी कर के रघुवर की,
द्रोणागिरी जड से उठाया मरने से लखन बचाया
हनुमान तुम्हारा क्या केहना बलवान तुम्हारा क्या केहना,

जब राम लखन को चोरी कर अहिरावन ले गया अपने घर
तो तुमने जा पातळ पूरी प्रबु आप ने सब से जंग लगी
दुष्टों का करा सफाया श्री राम का ध्वज फेहराया
हनुमान तुम्हारा क्या केहना बलवान तुम्हारा क्या केहना,

कहे राज अनाडी बात खरी थी अवध पूरी की सभा जुडी
तब ताना मारा बबीशन ने क्या राम है तेरे सीने में
सीना फाड़ दिखाया लखा राम का दर्श कराया
हनुमान तुम्हारा क्या केहना बलवान तुम्हारा क्या केहना,
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