ज्योत जगादी तेरी ज्योत जगादी

दादा खेडे तेरे नाम की खटक कसुती लागी स,
ज्योत जगादी तेरी ज्योत जगादी स

हलवा पुरी खीर बनाके करया तेरा भडांरा हो,
रविवार न भकता का तेरे दर प पडरया लारा हो,
जो सच्चे दिल त आया उसकी सोई किस्मत जागी स,
ज्योत जगादी तेरी ज्योत जगादी स....

शकंर का अवतार कहे तु सारे गाम का रुखाला हो,
बडी विता म पडया था दादा तने आण सभांला हो,
सुखा पडया था खेत मेरा तने सामण कि झडी लादी स,
ज्योत जगादी तेरी ज्योत जगादी स......

दादा खेडे अपने दास प करिये एक उपकार हो,
मेरे अगंना फूल खिलादे सुणले मेरी पुकार हो,
मनै सूनी तनै बहोत घण्या की कुल की बेल चलादी स,
ज्योत जगादी तेरी......

सोमपाल न कर कविताइ छदं कसुता टोलिया,
बिट्टू कालखा के भजना न मन मेरा यो मोह लिया,
गुरु सतंराम न साज बजाके भवन म धूम मचादी स,
ज्योत जगादी तेरी.....

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