झुंझनू से चिठी आई

तर्ज  यशोदा का नंदलाला

झुंझनू से चिठी आई  दादी जी ने भेजा है ल
बोली बेटा मत घबराना जीवन अनमोल
दादी दादी बोल दादी दादी बोल

दुख दर्द सुन ले बेटे आना उसका काम है
जायेगा वो जल्दी वापिस मेरा ये ऐलान है
तेरे लिए रात मै जागु दिन भी तेरे नाम है
कर ले भरोषा बेटे आँखे तो खोल
दादी दादी बोल दादी दादी बोल.

देखना अंधेरा तेरे घर से मै मिटाऊँगी
मेरे दर पे तू आया तेरे घर भी आउंगी
तेरे ही लिए तो मैंने झुंझनू बसाई है
अपने मन की गहराई मे यही नाम घोल
दादी दादी बोल दादी दादी बोल

टाबरा के गम आने पे मा भी कभी सोती है
कैसे अब बताऊ तुझे चीज मा क्या होती है
चुनड़ी की छाव मे बेटे बेटियों को पाला है
कलेजे के टुकड़े मेरे पथ से ना डोल
दादी दादी बोल दादी दादी बोल.
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