जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना

जीवन मौत का खेल है पगले क्या रोना क्या धोना
जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना
रोते-रोते हंसना सीखो हंसते हंसते रोना

ऋषि मुनि क्या योगी ध्यानी और क्या पीर पैगंबर
खाली हाथ यहां से लौटे दारा और सिकंदर
साथ किसी के नहीं गया है यह चांदी और सोना
जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना
रोते रोते हंसना सीखो..............................

जिस दिन टूटेगी तेरी सांसों की जंजीरे
काम नहीं आएगी तेरी धरी रहे जागीरे
मौत के आगे चला न जग में किसी का जादू टोना
जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना
रोते रोते हंसना सीखो....…...........................

कोठी बंगले और मकान तेरी ये धन दौलत
पल दो पल की तेरी इज्जत पल दो पल की शोहरत
आज जो पाया तूने जग में कल पड़ेगा खोना
जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना
रोते रोते हंसना सीखो……................................

जीवन मौत का खेल है पगली क्या रोना क्या धोना
जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना
रोते-रोते हंसना सीखो हंसते-हंसते रोना
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