गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी
सारी रात ना सोहने देते कूदे मारे किलकारी
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

जितने घर के वर्तन भांडे तितर बितर कर डाले
खत पट पर करत रात भर ढोले ना माने भज मारे,
कैसे मुक्ति मिले नाथ मुझे मैं चूहों से हारी
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

रोटी सबजी दूध न छोड़े कैसे जुलम गुजारे,
मेहंगे मेहंगे नये नये कपड़े कुतर कुतर के डारे,
मच्छर दानी बनाये गई मेरी नई नकोरी साड़ी,
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी

मोदक भोग लगाऊ गणपति किरपा करो इक बारी
अपनी सेना आप सम्भालो इतनी वन्य हमारी,
मुक्ति मिले कृष्ण चूहों से नाचू दे दे ताली
गणपति समझा लो बिगड़ी फौजी तुम्हारी
श्रेणी
download bhajan lyrics (601 downloads)