गुरुवर दया के सागर

गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥
दुनियाँ का दर भँवर है,॥  तेरा दर ही है किनारा,
गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥


तेरी दृष्टी है निराली, दुविधा को हरने वाली ॥
अन्धों की आँख में भी, नव ज्योति भरने वाली ॥
अज्ञान के तिमिर से,॥  हर भक्त को उबारा,
गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥

तेरा है ज्ञान चोखा, विज्ञान है अनोखा  ॥
अपनाया इसे जिसने, उसने न खाया धोखा ॥
जो जुड़ सका न तुझ से,॥ वह लुट गया बेचारा,
गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥

तेरे दर पे सब बराबर, कोई बड़ा न छोटा ॥
चोखा बनाया सबको, आया भले ही खोटा ॥
जो भी शरण में पहुँचा,॥ सबको मिला सहारा,
गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥

दुनियाँ का रस लुभाता, मझधार में डुबाता ॥
तेरा-रस पुनीत पावन, है इष्ट से मिलाता ॥
भक्तों को इसी रस ने,॥ भव सिन्धु से उबारा,
गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा॥
दुनियाँ का दर भँवर है,॥  तेरा दर ही है किनारा,
गुरुवर दया के सागर, तेरा दर जगत् से न्यारा ॥
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