बासी में धाम बड़ा प्यारा है

तर्ज- सूरज कब दूर गगन से ...

है अजित नाथ प्रभु प्यारे , हम भक्तो के सहारे
धरती अम्बर में गूंजे , प्रभु जयकारे ये तुम्हारे बांसी में ,
धाम बडा प्यारा है बाबा का  द्वारा है

प्राचीन प्रतिमा अजितनाथ की स्वर्णिम है  इतिहास
बाड़ी काली से निकले प्रभु , छाया हर्षो था उल्लास
है वर्ष आठ सौ पुरानी , इस प्रतिमा की कहानी
बांसी में हुई प्रतिस्ठा ,ये दुनिया जिनक दीवानी बांसी में ,
धाम बडा प्यारा है ये  बाबा का  द्वारा है

प्रभु के प्रक्षालन जल से , जहाँ होती  शांति धारा
अमृतमय है जल धारा का ,  रोगो को जिसने  निवारा,
ये पावन शांतिधारा ,  मनभावन शांति धारा
शांति फैलाये जग में , अभिमंत्रित है ये धारा  बांसी में  धाम बडा प्यारा है,
ये  बाबा का  द्वारा है
               
वेदी प्रतिस्ठा में भक्त जब , कीड़े देख घबराये
जाप किया प्रभु अजित नाथ का , कीड़े नजर न आये
अदभुत है इनकी महिमा , ये अक्षत का  है  कहना
प्रभुवर के दर्शन करने , एकबार तो बासी आना बांसी में ,
धाम बडा प्यारा है  ये  बाबा का  द्वारा है

            ।। सिंगर अक्षत ,प्रशुक जैन।।
                  ।।रचनाकार।।
               दिलीप सिंह सिसोदिया
                 
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