सांवरियां सु लग गई प्रीत

सांवरियां सु लग गई प्रीत मैं तो हार के दिल गई उस को जीत,
सांवरियां सु लग गई प्रीत

बांके की बांकी छवि मन रिजावे जादू है एसो सुध विसरावे
और न कोई भावे मोहे वो ही है मन मीत
सांवरियां सु लग गई प्रीत

लगन जब से उनसे लागी नीदो में भी रहू मैं जागी जागी
पता नही कब दिवस बीते त्रिना ये जाए बीत
सांवरियां सु लग गई प्रीत

घर अधर बंसी भजावे श्याम सलोनो चित चुरावे,
प्रीत की बाँधी डोरी उन से हो गी निभावे री
सांवरियां सु लग गई प्रीत
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