झुंझनु में घुंघटो ना जाऊ काड के

झुंझनु में घुंघटो ना जाऊ काड के
मेरी दादी ने रिजा सु महे को नाच नाच से

झुंझुन में जावन के ताई अर्जी सो सो वार लगाई,
तब जा कर माहरी दादी जी की झुंझुन से चिठ्ठी है आई
कितनी दूर से मैं आई चाल के
मेरी दादी ने रिजा सु महे को नाच नाच से

घूँघटियों आड़े आ जावे माहने कुछ भी न नजर आवे
दादी से मिलने की ईशा मन ही मन में रह जावे
भजन सुना छु मैं दादी ने भाव से
मेरी दादी ने रिजा सु महे को नाच नाच से

झुंझनु के दरबार के आके म्हारा पग्लेया थिरकन लागे
गैर कदे न नाचू सोनू नाचू बस दादी के आगे
मिले है नाचन को यो मा को भाग से
मेरी दादी ने रिजा सु महे को नाच नाच से
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