बरसाने में बनवाये दे छोटो सो घर घनश्याम मुझे

बरसाने में बनवाये दे छोटो सो घर घनश्याम मुझे
मेरी बरसो की भगती का देदे तू आज  इनाम मुझे
बरसाने में बनवाये दे छोटो सो घर घनश्याम मुझे

तू राधे की गली के चकर काटे शाम सवेरे,
रोज मुझे भी होंगे दर्शन राधे के संग तेरे
राधे की बगल में दिलाये दे
वनवारी इक धाम मुझे

ना तो मिले यमुना के किनारे और न नन्द गाव में
तेरा जी लागे राधा के आंचल की छाओ में
राधे को ये समजा दे संग रखे आठो याम मुझे

हे लोकेश तेरे तो तीनो लोक है बरसाने में
मैं क्यों समय गवाऊ मोहन इधर उधर जाने में
पल भर में तू मिल जाएगा जब तुझसे पड़े गा काम मुझे

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