मेरे दाता के दरबार में सब का खाता है

मेरे दाता के दरबार में सब का खाता है
जितना जिसके भ्ग्ये में लिखा उतना पाता है,
मेरे दाता के दरबार में सब का खाता है

क्या साधू कया संत गरस्थी क्या राजा क्या रानी
प्रभु की पुस्तक में लिखी है सब की कर्म कहानी
सब ही के वो जमा करज का सब ही हिसाब लगाता
मेरे दाता के दरबार में सब का खाता है

बड़े बड़े कानून प्रबु के बड़ी बड़ी मर्यादा
किसी को कोडी कम नही देता किसी को दमड़ी ज्यादा
इसलिए वो इस दुनिया में जगत से अट कहलाता
मेरे दाता के दरबार में सब का खाता है
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