तेरा भवन भी छोटा पड़ गया

तेरा भवन भी छोटा पड़ गया बड़ा बनावा हो,
बाबा हो बाला जी तेरे घने बने पुजारी हो,

दोनों कना कई कई घंटे लम्भी लाइन लगे जी
तेरे इक पल दर्शन होते वो न पीड मिटे जी
इक आ के पे छीटा पड जा हो ओ बाबा ओ,
हो बाला जी तेरे घने बने पुजारी हो,

आशा लेके सब आवे से खुले दर्शन हो जा,
ढके मारे तेरे पुजारी मनवा भी भीम रो जा
आस टूट जा चेहरा झड़ जा,
हो बाला जी तेरे घने बने पुजारी हो,

हरयाने के भगत तेरे से बाला जी घन जीडी
धन माया की लोड नही से मांगे रिधि सीधी
तने देख के मस्ती चड जा मस्ती चड जा,
हो बाला जी तेरे घने बने पुजारी हो,

राज पाल भी नए भवन में बेठ्या मार प्लाकी,
कोशिस्क के बोला में मस्ती उठे दुनिया गाती
अशोक भगत की शत ने गड जा शत ने गड जा
हो बाला जी तेरे घने बने पुजारी हो,
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