वक़्त हसाये वक़्त रुलाये

वक़्त हसाये वक़्त रुलाये वक़्त बड़ा बलवान सुनो,
चौदह वर्ष बने वनवासी स्वयं राम भगवान् सुनो,

शक्ति वां जब लगा लखन को,
मुर्षित हो गिरते देखा तीनो लोक के दुःख हरता को,
दुःख में विखल रोते देखा,
काल चकर की गति है निराली वच न सके श्री राम सुनो,
चौदह वर्ष बने वनवासी स्वयं राम भगवान् सुनो,

इक लख पूत स्व लख नाती रावण का परिवार था,
पल में हो गया सर्व नाश बस समय का क्रूड प्रहार था,
अध्भुत सोने की लंका को होना पड़ा वीरान सुनो,
चौदह वर्ष बने वनवासी स्वयं राम भगवान् सुनो,

राजा बलि जैसा नहीं दूजा भू मंडल पे दानी था,
स्वर्ग धरा पताल था वश में महाबली वो ग्यानी था ,
बामन रूप में चले श्री हरी टूट गया अभिमान सुनो,
चौदह वर्ष बने वनवासी स्वयं राम भगवान् सुनो,

कभी रात कभी दिन का आना कभी धुप कभी चाँदनी,
वक़्त ही लाये सावन पत्झग और बसंत की रागनी,
वक़्त सखा न सतेंदर किसी का ना करना तू घुमान सुनो,
चौदह वर्ष बने वनवासी स्वयं राम भगवान् सुनो,
श्रेणी
download bhajan lyrics (771 downloads)