अपना कोई नहीं अपना तो श्याम संवारा

अपना कोई नहीं अपना तो श्याम संवारा,
जिसको पगले तू समजे है अपना दुनिया है इक सपना,
मतलब की सब दुनिया दारी बस वो ही है अपना,
अपना कोई नहीं अपना तो श्याम संवारा,

फिर दिल में वसा है तू ही तू ही,
टूटे मन का भरोसा बस इक तू ,
विरहा में तेरे सुना ये जीवन आगे तू मेहकाना श्याम,
अपना कोई नहीं अपना तो श्याम संवारा,

मन अब भी उलझा अपनी में उलझा दुनिया में,
ठोकर खाई उसी झूठी दुनिया में,
खुद को ही मैं ढूंढ न पाउ इतना था उलझा
अपना कोई नहीं अपना तो श्याम संवारा,

प्यारे भगतो का तू ही दिलदार है,
जग में ऊंची सभी से तेरी सरकार है,
कौशिक तेरा दास सांवरिया इसको तू न बुलाना
अपना कोई नहीं अपना तो श्याम संवारा,
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