मिनख जमारो मिल्यो जग माही

मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं,
लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं,

मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा मत ना खोवे तूं,
रचना रची हरि अजब निराली,भेद कोई नही पायो ते,

कर सत संग सफल कर जीवन,अवसर बीत्यो जावे यूं,
पल-पल छिन-छिन आयु जावे,मोत नेङे री आवे यूं

संचित कर्म पुरबला रे कारण,मानव देह धर आयो तूं
सदानन्द थाने भरी सभा में,बार-बार समझावे यूं

रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर
M.9460282429
download bhajan lyrics (655 downloads)