पर्याग आके गंगा नहाना

पर्याग आके गंगा नहाना अपना तन मन पवन कर जाना,
निर्मल जल में दुभ्की लगाना अपना तन मन पवन कर जाना,

माँ गंगा को तुम अपने मन में वसाओ सभी पाप धुल जाए दीपक जलाओ,
फिर श्रदा से अपने तू सिर को जुकाओ ,
हो कमाना पूरी तुम गंगा नहाओ,
फिर गंगा माँ से अर्जी लगाना,
अपना तन मन पवन कर जाना,

ये तीर्थो की राजा प्राग की नगरी,
सभी गंगा जल से भरे याहा गगरी,
ये कुंभ का मेका याहा भक्त आते,
माँ गंगा की जय बोल संगम नहाते,
आकर अपना जीवन सफल बनाना,
अपना तन मन पवन कर जाना,

कुंबो में साधू संतो का अध्भुत नजारा ,
लगे जैसे तारो बीच चाँद हमारा,
दुनिया के सुख में भी ये सुख है प्यारा दविंदर को गुरु ब्रिज मोहन का सहारा,
माँ भक्तो की भी आस पुराना ,
अपना तन मन पवन कर जाना,
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