मेरी विनती है बाराम बार मेरी सुन ने नाथ पुकार

मेरी विनती है बाराम बार मेरी सुन ने नाथ पुकार,
हे शिरडी के महाराजा मेरे साई सांवरियां आजा,

मेरा गुरु भी तू मेरा ज्ञान भी तू मेरी भक्ति भी तू भगवान भी तू,
कण कण में जिसे महसूस करू वो करुणा किरपा निघान भी तू ,
भगवान् तू जिसका वो दुनिया एक बगीचा है,
बो फूल कभी न मुरझाया जिस फूल को तूने सींचा है,
मेरी विनती है बाराम बार मेरा मुरझाया गुलजार,
तू आके जरा मेहकाजा,मेरे साई सांवरिया आजा

मेरी आस भी तू मेरी प्यास भी तू मेरी श्रद्धा भी तू विश्वाश भी तू,
पल पल में जिसे खोजा ही करू वो मंजिल मेरी तरास भी तू ,
सागर है तू दया का साई अमृत सब को पिलाता है,
जो भी शरण में आये प्यासा उसकी प्यास बुझाता है,
मेरी विनती है बाराम बार लेकर किरपा की धार,
मेरी प्यास नाथ बुजा जा मेरे साई सांवरियां आ जा ,

मेरे मन में है तू मेरे तन में है तू,
मेरे भजन में तू मेरे सुमिरन में है तू,
जीवन में मेरे बस तू ही तू तेरी शरण सदा साई आशु,
शरणागत पर तूने हमेशा अपनी किरपा बरसाई है,
बन के खवइयन जीवन नैया भव से पार लगाई है,
मेरी विनती है बाराम बार मेरी सुन ने नाथ पुकार,
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