तू क्यों घबराता तेरा श्याम से नाता है

तू क्यों घबराता तेरा श्याम से नाता है,
जब मालिक है सिर पे क्यों जी को जलाता है,
तू क्यों घबराता तेरा श्याम से नाता है

तू देख विनय कर के तेरी लाज बचाएगा,
तू जब भी बुलाएगा हर बार ये आएगा,
अपने प्रेमी को दुखी ये देख ना पाता है,
जब मालिक है सिर पे क्यों जी को जलाता है,

जब कुछ न दिखाई दे तू श्याम का ध्यान लगा,
मेरा श्याम सहारा है मन में विस्वाश जगा,
जब श्याम किरपा होती रस्ता मिल जाता है,
जब मालिक है सिर पे क्यों जी को जलाता है,

तेरी हर मुश्किल को चुटकी में ये हल कर दे,
कोई दाव चलाये तो ये झट से विफल करदे,
कोई न जान सके किस रूप में आता है,
जब मालिक है सिर पे क्यों जी को जलाता है,

जब पड़ती जरुरत है ये आता तब तब है,
बिन्नू का ये अनुभव है याहा सब कुछ सम्बव है,
मेरे श्याम की लीला को कोई समज न पाता है ,
जब मालिक है सिर पे क्यों जी को जलाता है,
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