मोहे सुध न रही दिन रेन की

तेरे प्रेम का रंग है न्यारा रे,
सारा जग ही लगे अब प्यारा रे,
हर और ही है उज्यारा रे,
मोहे सुध न रही दिन रेन की,

कान्हा से न रह गई अब कोई दुरी रे,
अध् जल गगरी आज हुई रे पूरी रे,
नाचू  ओड चुनार सिंधुरी रे,
भुजी प्यास जो मन वेचैन की
मोहे सुध न रही दिन रेन की,

प्रीत की डोर अब तो ये टूटे नहीं,
मेरे माधव तो अब रंग तेरा छूटे नहीं ,
सांस टूटे लग्न मोरी छूटे नहीं,
तेरे मधु से मीठे बैन की ,
मोहे सुध न रही दिन रेन की,

पी की हो गई अब न रही दुखयारी रे ,
पल में काट के रख दी दुविद्या सारी रे,
चली ऐसे जिया पे कटारी,
मोहन तेरे सूंदर नैन की,
मोहे सुध न रही दिन रेन की,
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