साई की शरण आजा किसने तुम्हे रोका,

जो अर्श पे होते है कब फर्श पे आ जाये,
किस्मत में क्या लिखा कोई न जान पाए,
मत कर गरूर बंदे ये जिंदगी धोखा,
साई की शरण आजा किसने तुम्हे रोका,
जो अर्श पे होते है कब फर्श पे आ जाये,

दुनिया में कैसे लोगो से रिश्ते हम निभाते,
मुरदो को उठाते जिंदो को जो गिराते,
अपना नहीं है कोई है सब के सब पराये,
फिर क्यों जमाने में हम रिश्तो को निभाए ,
इक बार हम ने दिल से ना ये कभी सोचा है
साई की शरण आजा किसने तुम्हे रोका,

जितना कमा लो लेकिन कुछ साथ नहीं जाता,
सब जानते है सब कुछ दुनिया में ही रह जाता,
तन के भी तेरे कपड़े सारे उतार लेंगे,
ये कोठी बंगला गाडी न तुझको साथ देंगे,
अब भी सम्बल या मुर्ख सूंदर बड़ा मौका है,
साई की शरण आजा किसने तुम्हे रोका,
जो अर्श पे होते है कब फर्श पे आ जाये,

है जिंगदी खिलौना कब जाने टूट जाए,
कलयुग के समंदर में कब जाने दुभ जाए,
कुछ कर्म करले ऐसे जो तेरे काम आये,
कलयुग के समंदर तू बच के निकल जाए
आ बैठे मेरे पास साई नाम की नौका है
साई की शरण आजा किसने तुम्हे रोका,
जो अर्श पे होते है कब फर्श पे आ जाये,
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