नरसी बोले अरज सुनो

भक्तों पर कृपा करें , साँवल शाह सरकार
भात भरण को आ गए , जब नरसी करी पुकार

नरसी बोले अरज सुनो , है गोवर्धन गिरधारी
नानी बाई बाट निहारे , राखो लाज हमारी

सिरसा गढ़ से है , मनमोहन भात की चिट्ठी आई
पढ़ पढ़ कर मेरा मन घबरावे , प्यारे कृष्ण कन्हाई
सब भक्तों की लाज बचाई ……...
आज है मेरी बारी

टूटी फूटी गाड़ी मेरी , कैसे पहुंचा जाए
साथ नहीं कोई गढ़ वाला , गाड़ी कौन चलाएं
नाव डूबी कौन बचाए ………...
तुम बिन बृज बिहारी

बिन भाई के बहन अकेली मेरी लाडली नानी
करके याद रोवती होगी , भर आंख्या में पानी
आज बदल दे करम कहानी ………..
आजा कृष्ण मुरारी

एक भरोसा तेरा है , घनश्याम मुरलिया वाले
भूलन त्यागी कहे श्याम , बहुत के संकट ताले
आज मुझे भी आन बचाले ………...
हरीश पड़ा शरण में थारी
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