क्या खेल रचाया है

क्या खेल रचाया है,
तूने खाटू नगरी में बैकुंठ वसाया है

कहता जग सारा है वो मोर छड़ी वाला हारे का सहारा है,
क्या प्रेम लुटाया है करमा का खीचड़ दोनों हाथो से खाया है,

दर आये जो सवाली है तूने सब की अर्ज सुनी कोई लौटा न खाली है,
कोई वीर न सानी का घर घर डंका बजता बाबा शीश के दानी का,

तेरी ज्योत नूरानी का अजब करिश्मा है श्याम कुंड के पानी का
नहीं पल की देर करे जो आया शरण तेरी तूने उसकी विपदा हरी,
download bhajan lyrics (656 downloads)