कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला

कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला ।
घनश्याम की अदाओं ने बेमौत मार डाला ॥

क्या पूछते हो हमसे, पहचान उनकी क्या है ।
सर पे मुकुट है बांका, गल वैजन्ती माला ॥

कुंडल कपोल बांके, है नयन इनके बांके ।
बंसी मधुर बजाये, है श्याम रंग का काला ॥

माधव की छबि बांकी, चितवन है उनकी बांकी ।
है कमल नैन बांके, बांका हैं नन्द का लाला ॥
download bhajan lyrics (1523 downloads)