चलिए शिव के दवार

चलिये चलिये चलिये चलिये चलिये शिव के दवार,
बड़े दयालु है शिव शंकर हर पीड़ा को हर लेंगे हर,
देंगे पार उतार,
चलिये चलिये चलिये चलिये चलिये शिव के दवार,

करुणा महेश की अप्रम पार है,
दुःख के मारो का ये आधार है,
शरण में आया चंदा माथे पे सजाया ,
राम कूट ती थी गंगा शीश पे उठाया सदा लिया शिव ने भक्तो का भार,
चलिये चलिये चलिये चलिये चलिये शिव के दवार,

मुख से बोलिये शिव की जय जय कार,
मन में खोलिये भक्ति के भंडार,
श्रद्धा से ध्यान करे जो भी शिव जी का,
कुंदन सा चमके गा उसका नसीबा,
जपे शिव नाम को सारा संसार,
चलिये चलिये चलिये चलिये चलिये शिव के दवार,

कोई धाम हो कैलाश या काशी बसे चरा चर में शम्भू अविनाशी,
राख सना है तन बैरागी रूप है,
सच में तिरशूल धारी विश में अनूप है मन कहे दर्शन करू बार बार,
चलिये चलिये चलिये चलिये चलिये शिव के दवार,
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